Tuesday, November 5, 2024

Pavitra Pustak | पवित्र पुस्तक

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Pavitra Pustak | पवित्र पुस्तक

ना कोई पुस्तक पवित्र ” Pavitra Pustak ” व ना ही अनुपयोगी

★★★ ज्ञान किसी पुस्तक में नहीं उसकी व्याख्या में ही निहित होता है। ★★★

जिसकी जैसी विवेचना वैसा ही विवेक आधारित संवाद या अभिव्यक्ति।

वरना एक ही विषय पुस्तक को पढ़ने वाले कुछ अज्ञानी ना रहते या कुछ विद्वान ना बन पाते।

★ एक पुस्तक जब किसी वर्ग विशेष का पवित्र ग्रन्थ के साथ – साथ जीवन शैली बनने लगे और ऊपर से अलग – अलग स्वार्थ सिद्धि पूर्ति करती उसकी व्याख्या निश्चित ही श्रेष्ठता की होड़ /अलगाव / कट्टरता / समाज के खण्डित / या फिर विध्वंस का मार्ग प्रशस्त करती है। ★

ज्ञान या निहितार्थ मानवीय मूल्यों के केन्द्रित होने पर ही सर्वश्रेष्ठ व सर्वकल्याणकारी साबित होता है।

स्पष्टता से जानने व समझने के लिए वीडियो सन्देश की प्रतीक्षा करें।

Pavitra Pustak | पवित्र पुस्तक

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – शिक्षा का व्यवहारिक व मानवीय मूल्यों के केंद्रित होने पर बल।

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Manas Shailja
manas
2 years ago

great think

Manas Shailja
Member
2 years ago

bahut sunder

Neeraj Kumar
Neeraj
2 years ago

Good

Sarla Jangir
Sarla jangir
2 years ago

अति उत्तम रचना

Sarla Jangir
Sarla jangir
2 years ago

अद्भुत

ONKAR MAL Pareek
Member
2 years ago

पुस्तक व ग्रंथ पढ़ते तो सभी है पर उसकी व्याख्या सब अपने विवेक व सुविधानुसार निकालते है सायद यही मूल कारण रहता है कि एक ही पुस्तक या ग्रंथ के मायने अलग अलग निकाल लिए जाते है और वो पुस्तक या ग्रंथ अपना मूल अस्तित्व ही खो देता है

Manas Jilay Singh
Reply to  ONKAR MAL Pareek
2 years ago

बहुत बहुत आभार

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