Sunday, October 6, 2024

Definition of Forced | मजबूर की परिभाषा | बेजुबान जिल्लत

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मजबूर की परिभाषा | बेजुबान जिल्लत
Speechless Insult or | Definition of Forced | Majboor Ki Paribhasha

बाध्य होने का दर्द जनाब जिल्लत से जब परिचय करवाता है ,
भला चंगा शरीर होने पर भी बीमार होने का अहसास हो जाता है ;

गरीबी दिखती है सोच में चाहे कपड़ों से वो धनवान नजर आता है ,
कुलमिलाकर परिस्थितियों से घिरीं बेबसी में जकड़ा ही लाचार कहलाता है ;

वैसे “”म”” से मजलूम की मायूसी जहां मर्ज़ बनता है ,
मर्म भी मौकापरस्ती की भेंट चढ़ दर्द बन जाता है ;

“”ज”” से जरूरतमंद जहां जायद का अधिकार खो देता है ,
वहाँ जबर्दस्ती का शिकार बनना आदत भी बना देता है ;

“”ब”” से बेजुबान कोई जहां बर्बरता का शिकार होता है ,
बदनीयती भी बेईमानी का चोला पहन तांडव करवाती है ;

“”र”” से रोजमर्रा जहां रसातल की ओर अग्रसर रहता है ,
रसूख भी रस्साकशी से ही जमीनी हकीकत दिखाता है ;

विवशता जीवन में सकून ही कहां लाने देता है ,
जब मजलूम जरूरतमंद के साथ बेजुबान होकर रोजमर्रा की आदत बनता है ;

सुख का ढर्रा छोड़ इंसान दो घड़ी ही आराम को तरसता जाता है ,
फिर इसे खुदाई कहें या बाध्यता पर दूसरा नाम “” गांधी “” जरूर याद आता है |

“” असहाय महसूस होने की मनोस्थिति ही मजबूर कहलवाती है “”

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मजबूर की परिभाषा | बेजुबान जिल्लत

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

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saurav Kumar
saurav
2 years ago

Very nice thoughts …..
Majboori insaan ko kamjor bana deti hai

Sanjay Nimiwal
Sanjay
2 years ago

मिलना एक इत्तफाक है,

और बिछड़ना मजबूरी है।

चार दिन की इस जिन्दगी में,

सबका साथ होना जरूरी है।।

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