“” मोक्ष की परिभाषा “” या “” मोक्ष का अर्थ “”
“” Definition of Moksha “” Or “” Meaning of Moksha “”
—– x — मोक्ष — x ——-
— x – मोक्ष धार्मिक सन्दर्भ में – x —
“” सांसारिक रिश्तों में समता, भोज्य पदार्थों के स्वाद की नीरसता व भौतिक संसाधनों के उपयोग के प्रति उदासीनता का भाव और जनकल्याण के प्रति समर्पित होते हुए आध्यात्मिकता का शून्य/चरम स्थिति को प्राप्त करना ही मोक्ष है। “”
— x — दूसरे शब्दों में — x —
“” जगत की मोह माया, भोग से निवृत्ति व भौतिक सुखों से विरक्ति के साथ आत्म एवं तत्व ज्ञान प्राप्ति ही मोक्ष यानि मुक्ति कहलाती है।। “”
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— मेरे जहन में कुछ सवाल —
जहां अगले दिन को सुनिश्चित नहीं कर सकते वहां पाखण्ड, आडम्बर और अंधविश्वास के चलते जन्म मरण के छुटकारे की अंधी दौड़ में कूद जाना।
~ मैं हैरान हूं कि हम मोक्ष या मुक्ति क्यों चाहते हैं और किससे ?
~ईश्वर हर कण कण में विद्यमान है तो हम किस भगवान से और किस रूप में मिलना चाहते हैं और क्यों ?
~ प्रचलित अलग-अलग धर्म मोक्ष प्राप्ति के अपने-अपने रास्ते दिखलाते हैं तो फिर भी मोक्ष हर धर्म के अनुयायी की भक्ति का सर्वोच्च पराकाष्ठा बनी है क्यों ?
— ★ — मोक्ष तार्किक सन्दर्भ में — ★ —
“” मानव का प्राणी धर्म में रहते अपने व्यक्तित्व का ईश्वरीय गुणों में विलीनता या समावेशी भाव ही मोक्ष यानि मुक्ति है। “”
“” सामाजिक जीवन का त्याग सन्यास की ओर अग्रसर एक कदम तो हो सकता है पर मुक्ति की तरफ हो ये जरूरी नहीं। मुक्ति तो सांसारिक जीवन में रहते हुए भी प्राप्त की जा सकती है। “”
यानि “” जटिलता, भ्रमजाल और पाखंड के रास्ते नहीं बल्कि जगतप्रणियों से दया, करुणा और प्रेम से सहजता व सरलता से मोक्ष प्राप्ति की जा सकती है।””
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – सामाजिक व्यवहारिकता को सरल , स्पष्ट व पारदर्शिता के साथ रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
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तार्किक विश्लेषण
आभार