झूठ की परिभाषा | झूठ का अर्थ
Meaning of False Dignity | Definition of Lie | Jhuth Ki Paribhasha
The dignity of lie has Increased
| झूठ की गरिमा अब बढ़ चली |
झूठ ने शेखी बखारते हुए कहा , ईमान की कसम अब मेरा रूतबा बढ़ चला है ;
तमाशबीनों में मेरा नाम झूठ से बदलकर मीडिया ही हो चला है;
अब तो झूठ का दौर, इतना बढ़ चला है ;
शर्म, हया, ग़ैरत तो दूर , अब तो इसके आगे ईमान भी बिक चला है;
झूठी तारीफ कहना ही नहीं , अब सुनने का भी प्रचलन बढ़ चला है ;
मक्कार नेताओं को पछाड़ते हुए, झूठ सुनने वाले का नाम भी अब सेक्युलर हो चला है ;
झूठ यह कह खूब रोया, कभी कभार ऑंख देखी व कान सुनी भी तो झूठ हो जाती थी ;
अब तो उस झूठ को भी सफेद कागज में सच बताकर, झूठ को बदनाम करने की साजिश का नाम दलीय संविधान हो चला है।
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झूठ की परिभाषा | झूठ का अर्थ
मानस जिले सिंह
【 यथार्थवादी विचारक】
अनुयायी – मानस पँथ
उद्देश्य – समाज में शिक्षा, समानता व स्वावलंबन के प्रचार प्रसार में अपनी भूमिका निर्वहन करना।
इस दुनियां में—
झूठ और फरेब का साया है…
हर चेहरे पर एक अनौखी माया है ।।।