Sunday, October 6, 2024

Meaning of Escape | पलायन नहीं पैरोकार की दरकार

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पलायन नहीं पैरोकार की दरकार | पलायन का अर्थ
Meaning of Escape | Definition of Escape | Playan Ki Paribhasha

| No Escape, only well-wisher are Needed |
| पलायन नहीं पैरोकार की दरकार |

जब -2 पलायन को राम भरोसे छोड़ा ,
दर्द से ही काम नहीं चला रूह पर भी उसने घाव छोड़ा ;

पथराई आँखों ने मौत के मंजर भी देख छोड़ा ,
गुलज़ार चमन उजाड़ने को खुद के हाथों पर ही छोड़ा ;

क्या साथ लेकर चला और क्या रख छोड़ा ,
कर्कश आँखों ने ये मुआयना भी कर छोड़ा ;

दर्द के कुछ ना रखा सिवाय जो कांधे पर रख छोड़ा ,
खिसकती जमीन देख पानी ने भी आँखों का साथ छोड़ा ;

रास्ते की भीड़ में भी तन्हाई ने जो इस कदर साथ पकड़ा ,
फ़टी बेवाईयाँ के निकलते खून ने रास्ते को भी रंग छोड़ा ;

थूक अब उसका मलहम बना जो निकल चुका था नन्हें पैरों पर फोड़ा ,
प्यास जो बुझाने निकला रिसता पसीना बहुत था पर वो था बहुत थोड़ा ;

कभी पुलिस तो कभी प्रशासन ने जो हम को जो पकड़ा ,
विरोधाभास की बीच खाई ने फिर भरी उम्मीदों को भी तोड़ा ;

दुनिया से क्या आस करूँ जब खुदा पर भी भरोसा नहीं रहा था भोरा ,
पल पल डराते मौसम में अब उजाले ने भी है साथ छोड़ा ;

बीमार मां की दवा के लिए हर दर पर हाथ जोड़ा ,
बच्चे की दो वक़्त की रोटी के लिये हाथ फैला अब ज़मीर को भी ताक पर रख छोड़ा ;

लगता है सरकार ने भी गरीब जान बीच मझधार में ही छोड़ा ,
भूख से नहीं तो रास्ते पर ही मरणा भगवान की माया पर अब जो छोड़ा ;

सोचता हूँ मजदूरी के लिए पहले घर परिवार सब छोड़ा ,
जी सके शान से तो फिर हमने आराम को छोड़ा ;

समय पर पहुंचे काम पर इसीलिए सराय को भी अंधेरी रात में ही छोड़ा ,
स्वावलंबन के वास्ते स्वाभिमान को घर पर खूंटी पर फिर लटका छोड़ा ;

सब छोड़ना समझ में आया था पर फिर भी मैं नहीं था भगोड़ा ,
क्यों सरकारों ने गरीबी का ठीकरा सिर्फ हमारे सर ही फोड़ा ;

अरबों लेकर भागते को कभी किसी ने नहीं पकड़ फांसी जो तोड़ा ,
ये भेदभाव देख अब लहू जो आँखों से टपक ” न्याय व रोजगार की मांग “ पर बुलंद आवाज में बोला , हाकिम हम गुनहगार नहीं मदद के तलबगार हैं एक मौका तो बता दो जो हमारे लिये रख हो छोड़ा “”

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पलायन नहीं पैरोकार की दरकार | पलायन का अर्थ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
2 years ago

आशियाना छोड़कर

पलायन कौन चाहता है जनाब

पर मजबूरियां सब कुछ करवा देती है…

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
2 years ago

यथार्थ

Devender
Devender
2 years ago

शानदार अभिव्यक्ति।।

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