Thursday, June 1, 2023

Meaning of Escape | पलायन नहीं पैरोकार की दरकार

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पलायन नहीं पैरोकार की दरकार | पलायन का अर्थ
Meaning of Escape | Definition of Escape | Playan Ki Paribhasha

| No Escape, only well-wisher are Needed |
| पलायन नहीं पैरोकार की दरकार |

जब -2 पलायन को राम भरोसे छोड़ा ,
दर्द से ही काम नहीं चला रूह पर भी उसने घाव छोड़ा ;

पथराई आँखों ने मौत के मंजर भी देख छोड़ा ,
गुलज़ार चमन उजाड़ने को खुद के हाथों पर ही छोड़ा ;

क्या साथ लेकर चला और क्या रख छोड़ा ,
कर्कश आँखों ने ये मुआयना भी कर छोड़ा ;

दर्द के कुछ ना रखा सिवाय जो कांधे पर रख छोड़ा ,
खिसकती जमीन देख पानी ने भी आँखों का साथ छोड़ा ;

रास्ते की भीड़ में भी तन्हाई ने जो इस कदर साथ पकड़ा ,
फ़टी बेवाईयाँ के निकलते खून ने रास्ते को भी रंग छोड़ा ;

थूक अब उसका मलहम बना जो निकल चुका था नन्हें पैरों पर फोड़ा ,
प्यास जो बुझाने निकला रिसता पसीना बहुत था पर वो था बहुत थोड़ा ;

कभी पुलिस तो कभी प्रशासन ने जो हम को जो पकड़ा ,
विरोधाभास की बीच खाई ने फिर भरी उम्मीदों को भी तोड़ा ;

दुनिया से क्या आस करूँ जब खुदा पर भी भरोसा नहीं रहा था भोरा ,
पल पल डराते मौसम में अब उजाले ने भी है साथ छोड़ा ;

बीमार मां की दवा के लिए हर दर पर हाथ जोड़ा ,
बच्चे की दो वक़्त की रोटी के लिये हाथ फैला अब ज़मीर को भी ताक पर रख छोड़ा ;

लगता है सरकार ने भी गरीब जान बीच मझधार में ही छोड़ा ,
भूख से नहीं तो रास्ते पर ही मरणा भगवान की माया पर अब जो छोड़ा ;

सोचता हूँ मजदूरी के लिए पहले घर परिवार सब छोड़ा ,
जी सके शान से तो फिर हमने आराम को छोड़ा ;

समय पर पहुंचे काम पर इसीलिए सराय को भी अंधेरी रात में ही छोड़ा ,
स्वावलंबन के वास्ते स्वाभिमान को घर पर खूंटी पर फिर लटका छोड़ा ;

सब छोड़ना समझ में आया था पर फिर भी मैं नहीं था भगोड़ा ,
क्यों सरकारों ने गरीबी का ठीकरा सिर्फ हमारे सर ही फोड़ा ;

अरबों लेकर भागते को कभी किसी ने नहीं पकड़ फांसी जो तोड़ा ,
ये भेदभाव देख अब लहू जो आँखों से टपक ” न्याय व रोजगार की मांग “ पर बुलंद आवाज में बोला , हाकिम हम गुनहगार नहीं मदद के तलबगार हैं एक मौका तो बता दो जो हमारे लिये रख हो छोड़ा “”

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पलायन नहीं पैरोकार की दरकार | पलायन का अर्थ

मानस जिले सिंह
【यथार्थवादी विचारक 】
अनुयायी – मानस पंथ
उद्देश्य – मानवीय मूल्यों की स्थापना हेतु प्रकृति के नियमों का यथार्थ प्रस्तुतीकरण में संकल्पबद्ध योगदान देना।

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Sanjay Nimiwal
Sanjay
10 months ago

आशियाना छोड़कर

पलायन कौन चाहता है जनाब

पर मजबूरियां सब कुछ करवा देती है…

Amar Pal Singh Brar
Amar Pal Singh Brar
10 months ago

यथार्थ

Devender
Devender
10 months ago

शानदार अभिव्यक्ति।।

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